Meri maa par kavita in hindi | माँ के लिए कविता हिंदी में

दोस्तों, आज हमने Meri maa par kavita in hindi लिखीं हैं जो माँ के जीवन पर समर्पित हैं। माँ से बड़कर इस दुनियां में कोई नहीं हैं, वो तो एक भगवान का रूप हैं, जो हमे जन्म देती हैं हमे हर चीज़ बड़े प्यार से सिखाती हैं और हमे अच्छे संस्कार देती हैं।
 
माँ के बारे में जितना लिखों उतना कम हैं, वो तो ममता का सागर हैं, जो अपने बच्चो को किसी भी बुरी परिस्तिथियो में नहीं देख सकती, अगर बच्चों को कुछ हो जाए तो दर्द सबसे पहिले माँ को ही होता हैं। जब भी कोई कठिनाई आती है तो हमेशा माँ उसका सामना करती है।
 
माँ पर ना जानें कितने कवियों ने मां के जीवन पर सुंदर कविताएं लिखीं है, क्यों की उसे बडकर इस दुनियां में कोई नहीं, अगर माँ अहमियत समझनी हो तो उनसे पूछो जिनोने अपने मां को खोया है। आज एक बात ज़रूर बताना चाहूंगा की जिसके सिर पर माँ का हाथ है, उसे बडा धनवान इस दुनियां में कोई नहीं है।
 
आज हमने कुछ माँ के जीवन पर आधारित कविता लिखने का प्रयास किया हैं, आशा करता की आपकों माँ के लिए कविता हिंदी में पसंद आयेगी।

 

माँ की याद पर कविता

तुझ से ही है मेरा अस्तित्व,
तुझसे ही तो मुझे नाम मिला,
 
तेरे कोक से ही जन्मा हु,
तुझ से ही ये संसार मिला,
 
मैं अधूरा हु तेरे बीन,
सब तेरे बीन सुना है,
 
तेरे कदमों के नीचे मां,
मेरी सारी ये दुनियां हैं,
 
तेरे जैसा अब प्यार कोन करेगा,
सब मतलब की ये दुनियां है,
 
तेरे प्यार के आगे मां,
ये सारी दुनियां फिकी है,
 
भीड़ भरी इस दुनियां में,
जब खुदको अकेला पाता हु,
 
याद आती है तेरे आंचल की,
जब मैं अकेला होता हु,
 
आंखों में भर आते है आंसू,
जब तेरी बाते याद आती है,
 
हर जगह रहती है ख़ामोशी, 
मां जब जब तेरी याद आती है।
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माँ के आँचल पर कविता

मां तेरे आंचल जैसा, इस दुनियां में ना कोई कोना है,
डर लगे मुझे जब भी मां, तेरे आंचल में ही सोना है।
 
नर्म मखमली आंचल में, मां मुझे छुपाए रखती है,
धूप बारिश या हो ठंड, हर मौसम से मुझे बचाए रखती है।
 
चोट लग जाए मुझे कभी तो, मां दर्द तुझे भी होता है,
आंखों में आते जब आंसू, तेरे आंचल का सहारा होता है।
 
भीग जाए बाल कभी तो, मां अपने आंचल से सुखाती है,
मुश्किल रास्तों पर कैसे चलाना, मां हमें हर पाठ सिखाती है।
 
मां होती है जब घर में, तब हर कोना कोना मेहकती है,
अपने आंचल को बांधके, घर को स्वर्ग से सुंदर बनाती है।
 
धूप लगे जब मां मुझे, तू अपने आंचल में छुपा लेती है,
खुद सहती है सूरज की गरमी, तू मुझे बचाए रखती है।
 
भूख लगे जब भी मुझे, मां झट से समझ जाती है,
खाते हुए लग जाए मुंह पर खाना, मां आंचल से पोछा करती है।
 
डाट पड़े जब भी पापा की, तू अपनी आंचल में छुपाया करती है,
रो पढू जब भी थोडासा, तू मिठे लड्डू खिलाया करती है।
 
कठीन घड़ी में तू आगे खड़ी, आंच ना मुझपर आने देती है,
कोई आ जाए विपदा कभी, तू डट कर सामना करती है।
 
हर मुश्किलों का हल तेरे पास, ये मैने जाना है,
मां तेरे आंचल जैसा, इस दुनियां में ना कोई कोना है।
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एक कविता हर माँ के नाम

दर्द सहना तो मां से सिखों,
पेट में उसने जब पाला होगा,
 
जब जनम हुआ होगा मेरा,
तब दर्द उसने भी सहा होगा,
 
जब रो पड़ता था मैं कभी,
तू बिना बोले समझ जाती थी,
 
भूख लग जाए जब भी मुझे,
तू अपना दूध पिलाती थी,
 
उंगली पकड़कर मां तू मेरी,
मुझको चलना सिखाती थी,
 
बनू मैं एक अच्छा इंसान,
तू अच्छे पाठ पढ़ाती थी,
 
हो कभी धुप जोरो की,
तू अपने आंचल में छुपाती थी,
 
सह लेती थी सब मौसम तू,
मूझपर कोई आंच ना आने देती थी,
 
सब मुश्किलों का सामना कर,
तूने मां मुझको संभाला है,
 
दर्द सहना तो मां से सिखों,
जब उसने पेट में मुझको पाला है।
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माँ तेरी बहुत याद आती है

तू नहीं है इस दुनियां में,
तेरी कमी मुझको तड़पाती है,
 
रोता हू अकसर कोने में,
माँ तेरी बहुत याद आती है,
 
तनहा तनहा रहता हु अब मैं,
ये दुनियां मुझे नहीं भाती है,
 
हर जगह नज़र आती है तू,
माँ तेरी बहुत याद आती है,
 
बचपन में तेरे गोदी में सोना,
उस वक्त की याद बड़ी आती है,
 
थप थपाके सुलाती थी तू,
माँ तेरी बहुत याद आती है,
 
अब थका हारा रहता हु,
नींद तभी कहा आती हैं,
 
ये घर लगता है अब सुना सुना,
माँ तेरी बहुत याद आती है,
 
हर ज़िद सुन लेती थी तू मेरी,
अब वो ज़िद कहा हो पाती है,
 
अब यादें छोड़ कर गई हो तुम मां,
माँ तेरी बहुत याद आती है,
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मातृत्व दिवस पर कविता

✳️मां तो हैं ममता के सागर जैसी✳️
 
धूप में पेड़ो के छाव जैसी,
प्यास में शीतल जल जैसी,
 
बारिश में सिर पे छत जैसी,
आंगन में तुलसी के पौधे जैसी,
 
घाव पे तू है मरहम जैसी,
तन में हो तुम जीवन जैसी,
 
घर में लगे दर्पण जैसी,
मंदिर में मांगने वाले दुवावो जैसी,
 
ईश्वर पे चढ़े पुलों जैसी,
प्रेम की मूरत दया के सागर जैसी,
 
अंधेरे में हो रोशनी जैसी,
मां तो हैं ममता के सागर जैसी।

 

✳️तेरा मुझपर एहसान है✳️
 
दिया जनम तूने मां
बड़े नाजों मुझे पाला है,
मेरे लिए सब कुछ तू,
तेरा मुझपर एहसान है।
 
भूख लगी जब भी मुझे,
तूने अपना दुध पिलाया है,
ख़ुद भूखी रही है तू,
तूने मुझे नाजों से पाला है।
 
गोदी में खिलाया मुझे,
अपने आंचल में छुपाया है,
उंगली पकड़कर मेरी,
तूने मुझे चलना सिखाया है।
 
मेरी अंधेरी राहों पर,
तूने रोशनी का दीप जलाया है,
हर मुश्किल रहो पर,
तूने डट कर चलना सिखाया है।
 
कच्ची मिट्टी था मां मैं,
तूने पक्का घड़ा बनाया हैं,
तुझ से ही तो सब सिखा मैंने,
तेरा मुझपर एहसान है।
✳️❇️✳️❇️✳️
 
कुछ आखरी बाते…..🖋️
 
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माँ के बारे में जितना लिखा जाए उतना कम है, माँ की कोई परिभाषा नहीं होती, वो जीवन में भगवान का रूप होती है जिसे जो भी चाहो वो मांग सकते है।
 माँ का हमेशा खयाल रखिए और हमेशा उसके पास रहिए।

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