Best bachpan shayari in Hindi
नटखट बचपन की शायरी
कभी बचपन की यादें हम भी सुनाया करते है, कभी अपने तो कभी दोस्तो के किस्से सुनाया करते है, बचपन की यादें बसी है आज भी दिल में, उन बचपन में लोट जाए ये आज भी दुआ करते है।
बचपन के भी क्या दिन थे, सुनते थे मां की दाट, फिर मां के आंचल में चुप जाते थे, लेती थी जब वो अपने पास, सारे गमों भुल जाते थे।
बचपन भी क्या खास था, सारे दुनियां से मैं अनजान था, बस मां पिताजी थे मेरी दुनियां, सारे गमों से मैं अनजान था।
ना होती थी फिकर किसी बात की ना कोई डर सताता था, हौसला था मां मेरी, और कंधे पे पिता का हाथ था, बचपन का वो वक्त था।
खेला करते रोज हम, ना कमाने की कोई फिक्र थी, दोस्तो से लड़ते थे रोज, पर दोस्ती भी बडी पकी थी।
Bachpan par Shayari in hindi
बचपन की कुछ सुनहरी यादें शायरी
बचपन है पुलों जैसा, ना सुलझे सवालों जैसा, ना फिक्र ना कोई गम की बात, बचपन तो है बहते पानी जैसा।
कभी लड़ते थे कभी पीटे थे, कभी रोते थे कभी हंसते थे, बचपन के वो दिन थे कितनी शरारत हम करते थे।
खिलाती थी मां खाना, पिता कंधे पे लिए चलते थे, लग जाय पैरो पे मिटी, झट साफ किया करते थे, बचपन के इस दौर में हर ख्वाइश पूरी किया करते थे।
ओ बरसात का आना उसमे भीग जाना, कागज़ की उस नाव को पानी में चलाना, स्कूल के उस बस्ते को बारिश से बचाना, याद आता है वो बचपन का जमाना।
कभी गिरे तो कभी सवरते रहें, कभी हस्ते तो कभी गाते रहे, बचपन के उस दिन में छोटी बातों पर खुश होते रहें।
Bachpan ki school ki yaadein shayari
बचपन की पुरानी यादें शायरी
स्कूल का बस्ता था कंधे पर टिफिन में मां का प्यार था, टीचर की फटकार थी, फिर भी स्कूल से हमे प्यार था।
चेहरे पे मासूमियत थी, दिल में गबरहट थी, स्कूल का पहला दिन था, मां मुझे उठाती थी।
किताबों से प्यार ना था हमे, पर स्कूल की बड़ी आस थी, होती थी जब छुट्टी खाने की, खेलने की हमे लालच थी, बड़े सुहाने दिन थे बचपन के, स्कूल भी बड़ी खास थी।
काश वो स्कूल के दिन लोट आए, जिंदगी के वो हसीन पल मिल जाए, चल फिर बैठें क्लास की लास्ट बेंच पर, फिर पुराने दोस्तो से मुलाकात हो जाए।
शरारत होती थी स्कूल में जब हम छोटे बच्चे थे, इंतजार होता था छुट्टी का खेलने में हम माहिर थे, होती थी जब छुट्टी खेल कूद हम करते थे, पूरे रास्ते हम भागा दौड़ी करते थे।
Bachpan ki dosti shayari in Hindi
बचपन की दोस्ती स्टेटस
बचपन के दोस्त भी बड़े कामिने थे, करते खुद शरारत इल्जाम दूसरो पर चढ़ा देते थे, पर दिल के बड़े सच्चे थे, आजाए कोई मुसीबत सामने खड़े हो जाया करते थे।
खुबसूरती से भरे थे वो बचपन के दिन, शरारत से भरे थे वो दिन, छोटी बात पर रूठ जाया करते थे दोस्त हम से, फिर दो उंगलियां मिलाते दोस्ती हो जाय वैसे थे वो बचपन के दिन।
कागज़ की कस्ती थी बारिश का पानी था, साथ मेरे दोस्तो का काफ़िला था, बीत गए बचपन के दिन दोस्त भी हमसे रूठ गए, लोट के आजा वो बचपन मिला दे फिर से जो पिछे छूट गए।
याद आता है वो बीता बचपन, जब दोस्त हमारे साथ थे, खेलते कूदते दिन थे जब तितलियों के पिछे हम भागते थे।
साइकिल का सहारा था, मेरा दोस्त भी आवारा था, गिरते पड़ते थे रोज हम फिर भी दौर वो हमारा था।
Bachpan ka pyar shayari in Hindi
बचपन वाला प्यार शायरी
कितना खुबसूरत था वो बचपन का प्यार, ना जिस्म की भूख ना दौलत से प्यार, बस दूर से देखा खुश होना था बचपन का प्यार।
वो स्कूल का दिन था साथ बचपन का प्यार था, यू मिलती थी नज़र और इशारों में एतबार होता था, बस दूर से देख खुश हो जाया करते थे हम, उनका मुस्कुराना भी खास एहसास था।
कभी किताबों का बहाना था तो कभी कलम का बहाना था, बचपन का प्यार था वो मेरा ये सब उनके पास जाने का बहाना था।
मैं किताबों से चुरा के नजरे उनसे मिलाया करते थे, उन्हें इश्क था या नहीं फिर भी मुस्कुरा दिया करते थे।
ना तुझ से कुछ पाने की तमन्ना थी, ना तुझे खोने का डर, बचपन का खेल था, और मेरी नादानी थी।
Childhood shayari hindi
बचपन पर शायरी
बहुत सुकून मिलता है जब होती है बचपन की बाते, वो हजारो बातों से ख़ास होती है वो बाते, जब निगाहें उठा कर देखते हैं बचपन के तरफ, अनमोल होती थी वो मेरे बचपन की बाते।
नहीं है अब कोई जुस्तजू इस दिल में ए मेरे दोस्त, मेरी पहली और आखिरी आरज़ू बस बचपन में लोट जाने की हैं।
एक उमर बीत चली है कमाते कमाते, थक चुके हैं रिस्तो को निभाते निभाते, ये बचपन तू फिर वापस आजा, तेरी आगोश मे ले और मेरे बचपन में ले जा।
लोगों ने रोज ही नया कुछ माँगा खुदा से, एक हम ही हैं जो फिरसे बचपन मांगा करते है।
कुछ भूली-बिसरी यादें है बचपन की, कुछ बाते है स्कूल की, जब गुजरते है हम उस रास्ते, यादें आती है वो स्कूल की।
Heart touching bachpan shayari
बचपन की याद पर कहे गए शेर
कहा भुल पाते है हम बचपन की बाते, सबको याद आती है वो बचपन की बरसाते, भीग जाते थे हम जब बारिशों में, याद आती है वो दोस्तो की मुलाकाते।
अब की समझदारी अच्छी नहीं,वो नासमझी ही प्यारी थी, जहां हर कोई दोस्त था, हर किसी से यारी थी।
खेला करते थे कूदा करते थे, मौज-मस्ती में जीया करते थे, वो मासूम बचपन ही था जहां, सभी से दोस्ती कर लिया करते थे।
वो भोली-सी बातें, वो मीठी-सी शरारतें, वो अजीब-सी आदतें, वो बेपरवाह चाहतें, मज़ेदार होता था जीना, जिसमे फ़िक्र थी कोई ना।
बंधना-बंधाना पसंद ना था, सुनना-सुनाना पसंद ना था, हम कितनी भी बात मनवाले, कोई हमसे बात मनवाये पसंद ना था।